सोनिया से मिली सैलजा, इस्तीफे की पेशकश

सोनिया से मिली सैलजा, इस्तीफे की पेशकश

सोनिया से मिली सैलजा

सोनिया से मिली सैलजा, इस्तीफे की पेशकश

डेढ साल से हुड्डा गुट कर रहा है लॉबिंग
हुड्डा समर्थक विधायक हाईकमान से कर चुके हैं शिकायत

चंडीगढ़, 11 अप्रैल। पंजाब में कांग्रेस का घमासान अभी थमा भी नहीं था कि हरियाणा में कांग्रेस का विवाद अब निर्णायक मोड़ पर आ गया है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कथित दबाव के बीच कांग्रेस प्रधान कुमारी सैलजा ने सोनिया गांधी से मुलाकात करके इस्तीफा देने की पेशकश की है। सैलजा के इस्तीफे पर भले ही अभी सस्पेंस बना हुआ है लेकिन हुड्डा समर्थकों ने कांग्रेस मुख्यालय में अपनी सक्रियता बढ़ा दी है।
राजधानी चंडीगढ़ में आज दिन भर सैलजा के इस्तीफे की खबरों के बीच कांग्रेस मुख्यालय में हुड्डा समर्थकों का आवागमन जारी रहा। कांग्रेस के नये कप्तान को लेकर भी चर्चाओं का दौर शुरू हो रहा है।
हुड्डा गुट सैलजा को हटवाने के लिए करीब डेढ साल से लॉबिंग कर रहा है। हुड्डा खुद तो खुलकर सामने नहीं आए अलबत्ता उनके गुट के विधायक पार्टी हाईकमान से बदलाव के मुद्दे पर मिलते रहे हैं। पिछले साल जून माह में सैलजा के खिलाफ कई विधायकों ने पार्टी प्रभारी से भी मुलाकात की थी। 
यूपी,उत्तराखंड व पंजाब सहित पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में हार के बाद से ही कांग्रेस हाईकमान दबाव में है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं द्वारा बनाए गए जी-23 गुट में पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा की भूमिका अहम है। पहले अशोक तंवर और अब कुमारी सैलजा पर हुड्डा गुट का दबाव लगातार कायम है।
इस दबाव के चलते हरियाणा में पिछले करीब सात साल से कांग्रेस का संगठन नहीं बन पाया है। पंजाब में हुए इन बदलावों के बाद हरियाणा में बदलाव की संभावना बढ़ गई है।
विरोधी गुट की लॉबिंग और प्रदेश कांग्रेस की बढ़ती गुटबाजी को देखते हुए सैलजा ने इस्तीफे की पेशकश की है। चार सितंबर 2019 को डॉ़ अशोक तंवर को प्रदेशाध्यक्ष पद से हटाने के बाद कांग्रेस ने कुमारी सैलजा को प्रदेश कांग्रेस की कमान सौंपी थी। उनके प्रधान बनने के करीब एक माह बाद ही अक्तूबर में राज्य में विधानसभा के चुनाव हुए। विपरित परिस्थितियों में कांग्रेस चुनावों में 31 सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब रही।
शुरूआती दिनों में सैलजा और हुड्डा के बीच अच्छे संबंध देखने को मिले लेकिन फिर दोनों में दूरियां बढऩी शुरू हो गईं। अप्रैल-2020 में राज्यसभा चुनावों के दौरान विवाद काफी बढ़ गया। सैलजा का राज्यसभा से कार्यकाल पूरा हो रहा था और पार्टी नेतृत्व उन्हें फिर से भेजने के पक्ष में था लेकिन हुड्डा कैम्प ने दीपेंद्र सिंह हुड्डा का नाम राज्यसभा के लिए आगे बढ़ा दिया। मौजूदा हालातों की तरह उन दिनों भी कांग्रेस बुरी तरह से फंसी हुई थी। इसका नतीजा यह निकला कि दीपेंद्र सिंह हुड्डा राज्यसभा पहुंचने में कामयाब रहे।
पिछले दिनों राहुल गांधी ने सैलजा व हुड्डा सहित प्रदेश कांग्रेस के तमाम दिग्गज नेताओं को नई दिल्ली में बुलाया था। राहुल ने उन्हें एकजुट रहने के निर्देश भी दिए थे लेकिन राहुल के पाठ का कांग्रेसियों पर कोई असर नहीं हुआ। चंडीगढ़ के मुद्दे पर प्रदेश प्रभारी विवेक बंसल व सैलजा की अध्यक्षता में चंडीगढ़ में बैठक हुई तो हुड्डा ने विधायक दल की बैठक नई दिल्ली में की। इसके बाद महंगाई के मुद्दे पर बंसल व सैलजा के नेतृत्व में 7 अप्रैल को चंडीगढ़ में प्रदर्शन किया गया। इसमें हुड्डा सहित 24 विधायक नहीं पहुंचे।